मातृ-शिशु का समग्र विकास, पीएफआई का यही प्रयास

नई दिल्ली: परिवार नियोजन, मातृ-शिशु स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर मुद्दों पर व्यापक चर्चा और विमर्श के उद्देश्य से पॉपुुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया  (PFI)  ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दो दिवसीय (19-20 सितंबर) क्षेत्रीय मीडिया कार्यशाला आयोजित की। पहले दिन केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के तकनीकी संसाधन समूह सदस्य और परिवार सेवा संस्थान के तकनीकी सलाहकार डॉ. आलोक बनर्जी ने सत्र संचालन करते हुए विषय के संदर्भ में गूढ़ जानकारी साझा की और सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डाला।
डॉ. बनर्जी ने वैश्विक, क्षेत्रीय और भारतीय साक्ष्यों के साथ परिवार नियोजन तथा परिवार कल्याण, गुणवत्तापूर्ण देख-रेख संबंधी दिशानिर्देशों, स्वास्थ्य और परिवार नियोजन संबंधी बजट आवंटनों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही, मातृ स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और संबंधित संकेतकों के संबंध में सरकारी सर्वेक्षणों (NFHS,AHS,SRS) से प्राप्त राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय आंकडों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि भारत में मातृ-शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक है। पात्र दंपतियों को गर्भनिरोधक उपलब्ध कराकर इनमें से आधे से ज्यादा मौतों को टाला जा सकता है। परिवार नियोजन से मातृ मृत्यु दर में कमी आती है क्योंकि इससे गर्भधारण और उससे जुड़ी ऐसी जटिलताओं की आशंकाएं कम हो जाती हैं जो मौत का कारण बनती हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य भारत की बढ़ती आबादी के संदर्भ में राष्ट्रीय परिवार नियोजन के मौजूदा कार्यक्रम और नीतियों के बारे में जागरूक करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र द्वारा महिलाओं को उपलब्ध कराई जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता के मुद्दों पर सहभागियों को संवेदनशील बनाना रहा।
कार्यशाला के दूसरे दिन परिवार नियोजन एवं प्रजनन के बारे में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू कराने के लिए मीडिया कर्मियों को फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FPAI) की परियोजना के तहत क्लीनिकों का दौरा कराया गया जहां मौजूद डॉक्टरों और स्थानीय कार्यकर्ताओं से कामकाज के बारे में बातचीत कर जरूरी जानकारी हासिल की।
पीएफआई पर एक नजर

देश में जनसंख्या संबंधी मुद्दों पर नीतिगत सलाह और अनुसंधान क्षेत्र में इस अग्रणी संस्था की स्थापना जेआरडी टाटा ने की और भरत राम के नेतृत्व में स्वास्थ्य-समाज से जुड़े मुद्दों पर व्यापक चर्चा, विश्लेषण, शोध और जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करना फाउंडेशन का मूल उद्देश्य है। स्थापना के वक्त इसका नाम फैमिली प्लानिंग फाउंडेशन रखा गया, जिसे 1993 में बदलकर पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया

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