कितना मारक कोलेस्ट्रोल, बहस के बीच धंधा पो बारह

हम जो भोजन लेते हैं उसमें 15.20 प्रतिशत कोलस्टो्रल की आपूर्ति होती है। जबकि हमें प्रतिदिन 950 मि.ग्रा. की जरूरत  होती है। शेष कोलस्ट्रोल हमारे लीवर को ही बनाना पड़़ता है  
 
अंबाला: वर्ष 1970 से पूर्व अमरीकी डाक्टरोंं, वैज्ञानिकों और औषधि निर्माताओं में गुपचुप एक व्यापारिक चाल के तहत भ्रम फैलाया गया कि शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा का लेवल रखने के लिए दवा का उपयोग करना नितांत आवश्यक है अन्यथा हृदयघात होने के बाद अवसाद ज्यादा हो जाते हैं। भारत में स्वास्थ्य के प्रति अति संवदेनशील विचार धारा के लोगों ने इस भ्रम को दिलो दिमाग मेें बिठा लिया और दूसरों को भी भयभीत कर कोलेस्ट्राल के मायाजाल में उलझा दिया। इसका फायदा उठाते हुए अमरीकी डाक्टरों ने दवा निर्माताओंं के माध्यम से कोलेस्ट्रोल कम करने की दवा बेच-बेच कर करीब 1.5 लाख डॉलर बेवजह खर्च करवा दिए। बेहिचक इसे कोलेस्ट्रोल महाघोटाला कह दिया जाए तो संश्य नहीं होगा। पैथ लैबों में इसकी जांच का धंधा खूब फलफूल रहा है।  न जाने कितनों ने कोलस्ट्रोल फोबिया के चलते प्राण गवा दिए ।
कोलेस्ट्रोल के कारण जिन खाद्य वस्तुओं को निषेध सूची में डाला था, उन्हें अब हटा दिया गया है,  इससे पहले तक इन्हें दिया जा रहा था। कोलेस्ट्रेाल तो कोलस्ट्रोल ही होता है, यह अच्छा या बुरा नहीं होता। यह मानव शरीर के लिए आवश्यक होता है। नर्व सेल की कार्यप्रणाली और स्टेरायल हार्माेन के निर्माण जैसी गतिविधियों में इसकी जरूरत होती है।
हम जो भोजन लेते हैं उसमें 15.20 प्रतिशत कोलस्ट्रोल की आपूर्ति होती है। जबकि हमें प्रतिदिन 950 मि.ग्रा. की जरूरत  होती है। शेष कोलस्ट्रोल हमारे लीवर को ही बनाना पड़़ता है तो जाहिर है कि लीवर को अतिरिक्त कार्य करना पड़ेगा। जिनके शरीर में कोलस्ट्रोल ज्यादा है तो समझ लिया जाना चाहिए कि लीवर अच्छे से कार्य कर रहा है। कोलस्ट्रोल के नाम पर डाक्टर मूंगफली, घी, मक्खन, तेल, मांस, अंडे आदि न खाने या कम खाने की सलाह देते रहे। असली घी को दुश्मन, घानी के तेल को महादुश्मन बताने वाले  रिफाइंड तेल का व्यापार चमकाते रहे अब रिफाइंड तेलों की पोल खुल रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो वास्तव में ब्लाकेज का कारण कैल्सीफिकेशन है। यही कैल्सीफिकेशन गुर्दों और गाल ब्लैडर में पथरी का कारण बनता है। अमरीका के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन निसेन के अनुसार गत करीब 4 दशकों से हम गलत मात्रा पर चल रहे थे। डॉ. चेरिस मास्टर के अनुसार अगर हम कोलस्ट्रोल वाला आहार नहीं लेते तो शरीर को इसका निमार्ण करना पड़ता है, एलोपैथी में उपचार के दौरान शरीर की थ्योरियां बार-बार बदलती रहती है।
आज अधिकांश बीमारियों की जड़ है, बिगड़ी जीवनशैली और फास्टफूड। अगर जीवन शैली में सुधार कर लिया जाए, प्रकृति से नजदीकियां कायम रखी जाएं और शारीरिक कसरत का सहारा जाया तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं रह जाएगा।
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