सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना में पेंच

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आम बजट में देश के 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की है। हालांकि इससे कुल आबादी के एक बड़े वंचित तबके को आधुनिक चिकित्सा सुविधा का फायदा मिलेगा। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों और सर्जनों की भारी कमी के चलते इस बीमा की सफलता पर संदेह गहरा रहा है। वर्तमान में देश की गरीब आबादी के 0.5 फीसदी यानी 25 लाख मरीजों के अनुपात में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बेहद कम है। बता दें कि देश में एमबीबीएस की 65 हजार और पीजी की मात्र 25 हजार सीटें हैं। सबसे खराब स्थिति डायबिटीज के विशेषज्ञ डॉक्टरों की है।

एक तरफ तो देश डायबिटीज के मामले में दुनिया की राजधानी बन रहा है वहीं दूसरी ओर इस बीमारी का इलाज करने वाले इंडोक्रिनोलॉजिस्ट की संख्या जरूरत से 42 गुना कम है। विशेषज्ञों के अतिरिक्त जनरल सर्जन भी सिर्फ 18 हजार हैं, जबकि जरूरत एक लाख सर्जन की है। गौरतलब है कि कॉलेज ऑफ फीजिशियन एंड सर्जन कोर्स से एमबीबीएस के बाद स्पेशलाइजेशन का विकल्प मिलता है। यह दो साल वर्ष का डिप्लोमा कोर्स होता है। गुजरात और महाराष्ट्र में यह कोर्स चल रहा है। दूसरे राज्यों में इसे शुरू करने पर विचार चल रहा है। इस कोर्स से देश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर करने में मदद मिलेगी।

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