मानकों पर खरी नहीं उतरी 31 दवाइयां

गड़बड़ी

सोलन। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने ड्रग अलर्ट जारी कर देश की 31 फार्मा कंपनियों की दवाओं को खराब बताया है। इनमें दस दवाएं हिमाचल के उद्योगों में बनी हैं। इनमें से कुछ दवाएं ब्लड शुगर, सर्दी जुकाम व जोड़ों के दर्द में प्रयोग की जाती हैं। सीडीएससीओ ने सभी कंपनियों को खराब बैच वापस मंगवाने व नष्ट करने के आदेश दिए हैं। इन दवाओं के सैंपल जनवरी में देशभर से लिए गए थे। उत्तराखंड के ऑक्सफोर्ड कंपनी में निर्मित पैंटा फोर्ड-40 टैबलेट, थैमिस मेडिकेयर उत्तराखंड में निर्मित जोड़ों की दर्द के लिए इस्तेमाल होने वाला डायक्लोफिनैक सोडियम इंजेक्शन, चेन्नई की टानसी पोलिस यूनिट में निर्मित सर्जिकल स्प्रिट, जयपुर स्थित कंपनी विनायक मैनूट्रेड में निर्मित सर्जिकल स्प्रिट, दिल्ली के गोपीज फार्मा के इंजेक्शन डिक्सामिथासोन को भी सबस्टेंडर्ड पाया। गुजरात के लुपीन लिमिटेड, सिक्किम के सन फार्मा, आंध्र प्रदेश के सीको बॉयोटिक्स, चंडीगढ़ के बीएम फार्मास्यूटिकल व महाराष्ट्र जिम लेबोरेट्री समेत अन्य कई कंपनियों की दवाओं को परीक्षण में फेल करार दिया गया है। दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह का कहना है कि हिमाचल प्रदेश की सभी कंपनियों को खराब दवाओं के बैच को नष्ट करने के आदेश दिए गए हैं। उन्हें नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा जाएगा। कुछ सैंपल मौसम में परिवर्तन के चलते भी फेल होते हैं।

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