पीजीआई के हालात बेकाबू, स्वास्थ्य मंत्री विज बोले सब देख रहा हूं

रोहतक: हरियाणा के सबसे बड़े ए ग्रेड चिकित्सा संस्थान पीजीआर्ईएमएस रोहतक के लेबर रूम से प्रसव (डिलीवरी) के चंद मिनटों बाद बच्चा चोरी हो जाता है लेकिन प्रबंधन इस बेहद गंभीर घटना की तह तक जाकर असल दोषियों का पता लगाने की बजाए यह दिमाग लड़ा रहा है कि अपने डॉक्टरों को कैसे बचाया जाए– यह आरोप पीजीआई नर्सिंग यूनियन के प्रधान अशोक यादव ने उस वक्त लगाया जब स्टाफ नर्स बलजीत कौर और 10 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। मीडिया को दिए बयानों में पुलिस और पीजीआई प्रशासन तीन दिन से यही कह रहा है कि प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है लेकिन उस मां को कौन और कैसे समझाए जिसने बच्चे को जन्म देने के बाद उसका चेहरा भी नहीं देखा और लचर स्वास्थ्य-सुरक्षा सिस्टम के कारण कोई उसका लाल चुरा ले गया। तीन दिन से परिजन सैकड़ों लोगों केसाथ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। हेल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. ओपी कालरा के पास सिवाय गुस्साए लेागों को समझाने के कोई दूसरा संतोषजनक जवाब नहीं है। पुलिस अधीक्षक पंकज नैन भी यही कह रहे हैं कि थोड़ा सब्र करो, हम पता करने में लगे हुए हैं।

मां रंजू और दादी दर्शना का रो-रोकर बुरा हाल है। मां तो सदमे से पागल-सी हो गई है। दोनों ने कहा कि जब तक बच्चा नहीं मिल जाता, वह पीजीआई से छुट्टी नहीं लेंगे। यहां तक की परिवार ने आत्मदाह की चेतावनी भी दे डाली। हैरानी इस बात को लेकर भी है कि राम रहीम को सजा के बाद भी डेरा सच्चा सौदा में जाकर वोट मांगने की जिद करने वाले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने तीन दिन बाद भी रोहतक पहुंचकर पीडि़त परिवार से मिलना मुनासिब नहीं समझा। स्वास्थ्य मंत्री से बात करने कीे कोशिश की तो उनके मीडिया प्रभारी डॉ. अनिल दत्ता ने कहा कि लोकल प्रशासन अपना काम कर रहा है, हम उनसे अपडेट ले रहे हैं। छोटी-छोटी गलतियों पर बरसते हुए बड़े-बड़े अफसर-डॉक्टरों पर आंखे तरेरने वाले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इतनी बड़ी घटना के बावजूद पीजीआई के किसी बड़े डॉक्टर और अधिकारी के खिलाफ ठोस एक्शन नहीं लिया। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से खफा परिजनों ने सीएम विंडो पर शिकायत दी है। खानपूर्ति के लिए पीजीआई प्रबंधन ने नर्स और चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों पर गाज गिरा दी।  गायनी विभाग की अध्यक्ष डॉ. स्मिति नंदा को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।

नर्सिंग प्रधान अशोक यादव ने आरोप लगाया कि पिछले तीन दिन में पुलिस और पीजीआई प्रशासन की जांच में किसी भी डॉक्टरों को शामिल नहीं किया गया। केवल नर्स और चतुर्थ कर्मियोंं पर ही सख्ती बरत रहे हैं। सभी वीसी दफ्तर को घेर कर बैठ गए। नर्सों ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जब तक निलंबित कर्मियों को बहाल नहीं किया जाता, वे चुप नहीं बैठेंगे। यह सरासर अन्याय है।

डॉक्टरों ने एस्मा कानून को दिखाया ठेंगा
उधर, राज्य सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवाएं बाधित न हो इसके लिए छह महीने के लिए एस्मा (आवश्य सेवा अनुरक्षण कानून) लगा रखा है लेकिन दो दिन पहले हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसिज एसोसिएशन ने इस कानून की परवाह किए बगैर दो घंटे सांकेतिक हड़ताल की। इस पर कुछ एक्शन लेने की बजाय स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और हड़ताली डॉक्टर अगले दिन आराम से एक मंच पर बैठे और सरकार ने डॉक्टरों की मांगें मानने का आश्वासन दिया। स्वास्थ्य मंत्री के मीडिया प्रमुख डॉ. अनिल दत्ता से मेडीकेयर न्यूज ने एस्मा के बावजूद हड़ताल पर सवाल किया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके पास सारी जानकारी है। कानून तोडऩे वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासनिक गलियारों में चर्चा गरम है कि जैसे हरियाणा में धारा 144 का कई दफा मजाक उड़ा, वैसे ही अब एस्मा कानून को ठेंगा दिखा दिया।
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