एक इंजेक्शन की खरीद में ही साढ़े 11 हजार रुपए का चूना

कोटा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में दवा खरीद का एक और गड़बड़झाला सामने आया है। नए मामले में न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में खरीदे जा रहे एक इंजेक्शन से ही सरकार को 11 हजार 505 रुपए का चूना लग रहा है।
रिटूग्जिमेब नाम का यह खास इंजेक्शन ज्यादातर किडनी मरीजों में काम आता है। चूंकि गुर्दा रोग विभाग नए अस्पताल में ही संचालित है, इसलिए इसकी ज्यादा खपत भी इसी अस्पताल में है। इस इंजेक्शन की 100 एमजी का रेट कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ 395 रुपए है, जबकि 500 एमजी का रेट 13480 रुपए है। अस्पताल प्रबंधन 500 एमजी का ही इंजेक्शन खरीद रहा है, जबकि उतनी ही मात्रा में 100 एमजी वाले खरीदे जाएं तो प्रत्येक 500 एमजी पर 11 हजार 505 रुपए बच सकते हैं।
जांच में पता चला कि यह इंजेक्शन टुकड़ों-टुकड़ों में कभी 10 तो कभी 20 खरीदे जा रहे हैं और बीते एक साल में 80 से ज्यादा इंजेक्शन खरीदे गए हैं। ये इंजेक्शन भामाशाह लाभार्थी मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराने के लिए खरीदे जाते हैं। इस इंजेक्शन की 100 एमजी व 500 एमजी की रेट कॉन्ट्रैक्ट में दरें अप्रूव हैं। इसमें 100 एमजी की दर 395 रुपए तथा 500 एमजी की 13480 रुपए है। प्रबंधन 500 एमजी का इंजेक्शन खरीद रहा है, जबकि उसे पैसा बचाने के लिए 100 एमजी का खरीदना चाहिए। 5 इंजेक्शन की कीमत सिर्फ 1975 रुपए पड़ेगी। जबकि 500 एमजी के 13480 रुपए देने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि कई मरीजों में ऐसे एंटी बॉडीज बन जाते हैं जो शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इन एंटी बॉडीज को नष्ट करने के लिए यह महंगा इंजेक्शन इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर, स्किन जैसी बीमारियों में भी इसका उपयोग होता है।
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