फार्मा सेक्टर में तेजी, निवेश का बेहतर मौका

नई दिल्ली। वॉल्यूम ग्रोथ और प्रोडक्ट की कीमतें बढऩे से इंडियन फार्मास्युटिकल मार्केट (आईपीएम) की सेकंडरी सेल्स ग्रोथ बढ़ी है। इसके चलते फार्मा सेक्टर में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं। गौरतलब है कि फार्मा सेक्टर के लिए तिमाही नतीजे मिले-जुले लेकिन उम्मीद के मुताबिक रहे हैं। ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार वॉल्यूम ग्रोथ और प्रोडक्ट की कीमतें बढऩे की वजह से इंडियन फार्मास्युटिकल मार्केट (आईपीएम) की सेकंडरी सेल्स ग्रोथ बढ़ी है। कई कंपनियों के नए प्रोडक्ट मार्केट में आने वाले हैं या आ चुके हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि डोमेस्टिक मार्केट में सेक्टर की ग्रोथ बेहतर है, वहीं ग्लोबल मार्केट से जुड़ी चिंताएं भी कुछ कम हुई हैं। प्राइसिंग एन्वायरमेंट बेहतर हुआ है। हालांकि रुपये में मजबूती एक फैक्टर रहेगा। उनका कहना है कि डिफेंसिव माने जाने वाले सेक्टर में लो बेस का फायदा आगे मिलेगा। मुनाफा आ रहे बेहतर कंपनियों के शेयरों में लंबी अवधि के लिहाज से निवेश किया जा सकता है। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक आईपीएम की अक्टूबर में सेकंडरी सेल्स ग्रोथ सालाना आधार पर 12.2 फीसदी बढ़ी है।
इस दौरान सालाना आधार पर वॉल्यूम में 4.4 फीसदी और कीमतों में 5 फीसदी तेजी रही है। अक्टूबर महीने में नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग भी सालाना आधार पर करीब 3 फीसदी बढ़ गई है। अक्टूबर में खत्म हुए एक साल की ग्रोथ 9.4 फीसदी रही है। कंपनी के आधार पर देखें तो ढ्ढक्कष्ट्र लैब, बॉयोकॉन और मैनकाइंड में अगस्त से अक्टूबर के बीच सबसे ज्यादा ग्रोथ रही है। फाच्र्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि पिछले 2 साल की बात करें तो फार्मा शेयर खास नहीं चले हैं। इस दौरान ज्यादातर कंपनियों के साथ इश्यू नहीं रहा है, रेग्युलेटरी कारणों की वजह से शेयर परफॉर्म नहीं कर पाए। हालांकि अब रेग्युलेटरी चिंताएं कम हो रही हैं। यूएस में प्राइसिंग प्रेशर है, लेकिन कंपनियों ने इसकी बजाए घरेलू बाजार और यूएस से अलग नए बाजारों में अपना फोकस बढ़ाया है।  उनका कहना है कि कई ड्रग मेकर कंपनियां बेहतर बिजनेस कर रही हैं। उनका बेस बड़ा है, जिससे यूएस मार्केट में भी जल्द उबर जाएंगी। कई अच्छी कंपनियों के शेयर वाजिब वैल्यूएशन पर हैं। लंबी अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है।
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