आईवीएफ से बदल रही प्रेग्नेन्सी की दुनिया

  • 20 यूटरस ट्रांसप्लांट दुनिया भर में हो चुके हैं। इनमें से पांच महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है।
  • 10 घंटे लगते है डोनर का यूटरस निकालने और दूसरी महिला को लगाने में। 
  • अमेरिका में यूटरस ट्रांसप्लांट का खर्च डेढ़ से तीन करोड़ तक है। यह सर्जरी इंश्योरेंस दायरे में नहीं है।
नई दिल्ली: कम लोगों को ही जानकारी होगी कि हर वर्ष विश्वभर, खासकर अमेरिका में सैकड़ों लड़कियों का जन्म गर्भाशय (यूटरस) के बिना होता है। अब नए किस्म की सर्जरी के कारण डॉक्टर इन महिलाओं की किस्मत बदलने की आशा कर रहे हैं। सितंबर के अंत में बेलोर यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, डलास में चार अमेरिकी महिलाओं को जीवित डोनरों के गर्भाशय ट्रांसप्लांट किए गए। अमेरिका में पहली बार जीवित डोनर के गर्भाशय का ट्रांसप्लांट हुआ है।
जीवित डोनरों के गर्भाशय ट्रांसप्लांट पहले सफल हो चुके हैं।इस मामले में स्वीडन अग्रणी है।वहां यूटरस ट्रांसप्लांट कराने वाली नौ में से पांच महिलाओं ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एक महिला तो दूसरी बार गर्भवती है। बेलोर में जिन चार महिलाओं के ट्रांसप्लांट हुए, उनमें से तीन के गर्भाशय निकालने पड़े क्योंकि इन अंगों में रक्त प्रवाह सामान्य नहीं था। प्रयोग के तौर पर किए जाने वाले अंगों के ट्रांसप्लांट में यह सामान्य है। चौथी महिला में अब तक कोई गड़बड़ी नहीं देखी गई है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो वह एक वर्ष के अंदर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के माध्यम से गर्भवती होने की कोशिश कर सकती है। चूंकि सर्जरी के दौरान अंडाशयों का संबंध यूटरस से नहीं जुड़ पाता है इसलिए प्रेग्नेन्सी के लिए आईवीएफ जरूरी है।
विशेषज्ञ इसे मेडिसिन के क्षेत्र में एक महान इतिहास की शुरुआत होगी। यूटरस डोनेट करने वाली महिलाओं ने परोपकार की भावना से कदम उठाया है। वे किसी अजनबी महिला को गर्भवती होने का अवसर देना चाहती हैं। रिसीवर और डोनर के बीच कोई रिश्ता नहीं है। वे एक-दूसरे को जानती तक नहीं हैं। लगभग 50 महिलाओं ने स्वेच्छा से गर्भाशय दान करने की इच्छा जताई है। इससे भविष्य में और सर्जरी का रास्ता खुलेगा।
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