बैन से बिगड़ सकती है गोरेपन की क्रीम बनाने वाली कंपनियों की चमक

भारत में गोरेपन की क्रीम का बाजार 2010 में 2,600 करोड़ रुपये था। 2012 में 233 टन गोरेपन की उत्पादों का प्रयोग भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा किया गया। लेकिन पिछले माह ड्रग कंट्रोलर जनरल इंडिया द्वारा 300 क्रीम उत्पादों पर बैन के आदेश से  इस चमकते बाजार का रंग फीका हो गया। 
नई दिल्ली: त्यौहारों के इस सीजन में संजने-संवरने का दौर है और आज कल गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। 10 दिन में गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीम और कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में मार्केट तो बढ़ता गया लेकिन कितनी लड़कियों ने गोरापन पाया इसका कोई अंदाजा नहीं है।
हाल ही में एक चौंकाने वाला शोध सामने आया है कि गोरेपन के कई क्रीमों में स्टेरॉयड होते हैं जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। जो लोग भी गोरा होने व रंग हल्का करने के उपाय की तलाश कर रहे हैं, उन्हें विशेषज्ञों द्वारा सावधान किया गया है। इस तरह के उत्पाद आपके लिए जीवनभर की परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इन क्रीमों में इस्तेमाल होने वाले ग्लूटेथियोन को इंटरनेट पर गोरेपन के एजेंट के रूप में प्रचारित किया जाता है। लेकिन सच यह है कि यह हमारे शरीर में एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है जो उम्र बढऩे या बीमारी के कारण समाप्त हो जाती है।गोरेपन से इसके संबंध के बारे में वैज्ञानिकों ने पुष्टि नहीं की है। कई शोधकर्ताओं ने बताया कि त्वचा का रंग हल्का करने वाली क्रीम केवल एक निश्चित सीमा तक मेलानीन को हल्का कर सकती है।
यह त्वचा को बिल्कुल गोरा नहीं कर सकती है। बल्कि लंबे समय तक इनके प्रयोग से कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों को दावत जरूर देते हैं। कंपनियों के सामने एक बड़ी समस्या व्यापार में यह भी आ गई कि सरकार और कानून ने स्पष्ट किया कि अब बड़े सितारे भ्रामक प्रचार करेंगे तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। ऐसे  में बड़े सितारों के दम पर उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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