जंतर-मंतर से ‘अगस्त क्रांति’ का ऐलान, सरकारी धोखे से गुस्से में नर्सें

ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन के आह्वान पर 2 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय
नई दिल्ली: मरीजों की तीमारदारी में दिन-रात एक करने वाली नर्सों को बार-बार आश्वासन के बावजूद जब सरकार से अपना हक नहीं मिला तो सीधी लड़ाई का ऐलान कर दिया। ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन के बैनर तले राजधानी स्थित जंतर मंतर में एकत्रित हजारों की भीड़ में महासचिव जीके खुराना ने ‘अगस्त क्रांति’ बिगुल फूंका। देशभर से आई नर्सों की भारी भीड़ ने एक स्वर में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक 7वें वेतन आयोग में तर्कसंगत ढंग से उनकी मांगों को शामिल नहीं किया जाएगा, संघर्ष जारी रहेगा। देशभर में 2 अगस्त से नर्से अनिश्चिकालीन हड़ताल करेंगी।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते सुबह 10 बजे से ही जंतर मंतर पर विभिन्न प्रदेशों से नर्सेज संगठनों के प्रतिनिधियों का जमावड़ा शुरू हो गया था। दोपहर होते-होते करीब 15 हजार नर्सों का भारी हुजुम उमड़ पड़ा। गर्मी के मौसम में जोश से लबरेज नर्सों के हाथों में सरकार विरोध स्लोगन लिखी तख्तियां और बुलंद आवाज में ‘हम एक हैं’ के नारे स्पष्ट संकेत दे रहे थे कि  सरकार ने शीघ्र मसले का हल नहीं निकाला तो, आंदोलन व्यापक स्तर पर होगा। इस दौरान देशभर में अपने-अपने जिला मुख्यालयों पर धरने पर बैठी नर्सों ने सोशल मीडिया के मार्फत दिल्ली में फेडरेशन प्रतिनिधयों तक समर्थन संदेश भेजकर साबित किया, इस लड़ाई में बढ़-चढक़र भाग लेंगी।
लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो चुकी एआईजीएनएफ की महासचिव जीके खुरानाके तेवर और नेतृत्व क्षमता उम्र के इस पड़ाव में भी बेहद तल्ख दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ कई वार्ताएं हुई, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और स्वास्थ्य सचिव ने उनकी मांगों को जायज मानते हुए  7वें वेतन आयोग में शामिल करने का आश्वासन दिया था। सरकार के आग्रह पर नर्सों ने ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से दिन-रात अस्पतालों में मरीजों की सेवा करती रहीं। लेकिन जब वेतन आयोग सामने आया तो उनकी मांगों को कोई स्थान नहीं मिला।
खुराना ने कहा कि नर्सों के साथ हुए इस सरकारी धोखे को वह किसी सूरत में सहन नहीं करेंगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश-विदेश में बेटियों के मान-सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन धरातल पर सब ‘जीरो’ है। जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन करेंगे, जिसमें वह सबसे आगे होंगी। लिखित स्वीकारोक्ति के बाद भी उनकी जायज मांगों शामिल न किया जाना, सरकार की तानाशाही है।
फेडरेशन की दिल्ली अध्यक्ष प्रेमरोज सूरी ने कहा कि नर्सों का हक तो हम लेकर ही दम लेंगे, साथ ही सरकार की वायदाखिलाफी का भी ‘मुंहतोड़’ जवाब देंगे। वातानुकूलित कमरों में बैठ कर फैसले लेने वाले नेता और नौकरशाह मनमर्जी से सेवानियम और मानदेय तय करते हैं। जमीनी हकीकत से दूर इन वेतन विसंगतियों से नर्से आहत है। नियुक्ति में शुरुआती ग्रेड पे 4600 से 5400 करना, ठेका प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना, पदोन्नति-भत्तों में विसंगतियां दूर करना आदि कई मांगें हैं, जिन्हें लिखित दिए जाने और आश्वासन के बावजूद नामंजूर कर दिया।
प्रदर्शन में महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायपुर, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, रेलवे आदि से नर्से शामिल हुईं।
A
Advertisement