अब खसरा मुक्त देश बनाने का लक्ष्य

खसरा रोगियों की संख्या बढ़ी, वर्ष 2014 में देश में खसरे के कुल 20,227 मामले सामने आए थे, वर्ष 2015 में खसरे के रोगी बढक़र 25,514 हो गए, पश्चिम बंगाल पहले, जम्मू-कश्मीर दूसरे तो महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियों के बाद अब देश को वर्ष 2020 तक खसरा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, हकीकत में इस लक्ष्य को हासिल करना काफी कठिन है। दरअसल, बीते दो सालों में देश में खसरा रोगियों की संख्या में कम होने के बजाए बढ़ी ही है। देश में वर्ष 2014 में जहां खसरे के कुल 20,227 मामले सामने आए थे तो वहीं वर्ष 2015 में यह संख्या बढक़र 25,514 हो गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने बताया कि देश में खसरे को लेकर तमाम तरह के टीके उपलब्ध होने पर भी इसके रोगियों की संख्या कम नहीं होना चिंताजनक है। इसकी रोकथाम की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
केन्द्र सरकार ने व्यापक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत वर्ष 1985 में देशभर में खसरे के टीके का शुभारंभ किया था। इसके बाद इस बीमारी में प्रभावी कमी लाने के लिए वर्ष 2010 में खसरे के टीके की दूसरी खुराक की शुरुआत की गई है। इसके तहत 16 से 24 माह की आयु के बच्चों को टीके लगाए जाते हैं। वहीं, मिशन इंद्रधनुष जैसे कवरेज में सुधार लाने वाली पहल भी हुई है ताकि खसरे और टीके के कवरेज को बढ़ाया जा सके। वर्ष 2015 में भारत में खसरे के सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल में सामने आए हैं। इस वर्ष पश्चिम बंगाल में 5,425 मामलों का पता चला है। वर्ष 2014 में इस राज्य में इस बीमारी के 3,777 केस मिले थे।
पश्चिम बंगाल के बाद जम्मू-कश्मीर का दूसरा स्थान है, जहां वर्ष 2015 में कुल 2148 मामले सामने आए हैं। इसमें जम्मू संभाग में महज 68 मामले थे तो कश्मीर संभाग में 2080 मामले रहे। तीसरे नंबर पर औद्योगिक दृष्टि से संपन्न महाराष्ट्र राज्य का नाम आता है। वर्ष 2015 में महाराष्ट्र में खसरे के कुल 1,801 मामले सामने आए हैं। हालांकि इसके पहले वर्ष 2014 में महाराष्ट्र में ऐसे 2,030 रोगियों की पहचान की गई थी।

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