आईएचएच-फोर्टिस सौदे की राह में रोड़ा बनी जापानी दवा कंपनी दाइची 

मु़ंबई। संकट में फंसे अरबपति प्रवर्तकों मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को लेकर जारी कानूनी लड़ाई का असर फोर्टिस हेल्थकेयर-आईएचएच हेल्थकेयर बरहद सौदे पर भी पड़ सकता है। दरअसल, जापानी दवा कंपनी दाइची सैंक्यो द्वारा शेयर बिक्री पर रोक लगाने की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फोर्टिस हेल्थकेयर को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी। हालांकि अदालत ने प्रस्तावित सौदे पर स्थगन का आदेश नहीं दिया है, लेकिन अदालत को लगा कि फोर्टिस के चलते गड़बड़ी हुई है तो वह सौदे को रद्द कर सकता है। दाइची सैंक्यो के वकील अमित मिश्रा के अनुसार अदालत ने फोर्टिस ट्रेडमार्क की बिक्री और हस्तांतरण पर निषेधाज्ञा जारी की है और सिंह बंधुओं को अपनी विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने को कहा है।

दाइची सैंक्यो ने अपनी याचिका में अदालत को बताया कि फोर्टिस हेल्थकेयर-आईएचएच सौदा सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत द्वारा पारित आदेश के क्रियान्वयन तथा अदालतों के विभिन्न आदेश का उल्लंघन है। दाइची ने सिंह बंधुओं पर अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने सिंह बंधुओं को ब्याज और कानूनी फीस सहित 25.62 अरब रुपये दाइची सैंक्यो को देने का निर्देश दिया था। आदेश के तहत यह रकम अब 35 अरब रुपये हो गई है। यह मामला रैनबैक्सी सौदे से जुड़ा है। जापानी दवा कंपनी ने 2008 में सिंह बंधुओं से 4.6 अरब डॉलर में रैनबैक्सी का अधिग्रहण किया था। दाइची 2013 में सिंह बंधुओं के खिलाफ सिंगापुर की पंचाट में मामला दायर किया था और रैनबैक्सी से जुड़ी जानकारियों को छिपाने का आरोप लगाया था। दाइची 2016 से ही मध्यस्थता अदालत के आदेश को क्रियान्वित कराने का प्रयास कर रही है।

फोर्टिस हेल्थकेयर ने एक बयान में कहा कि न तो मध्यस्थता आदेश में और न ही दाइची और मालविंदर सिंह, शिविंदर सिंह और अन्य के विवाद मामले में वह कोई पक्ष है। उधर, फोर्टिस ने कहा कि हम स्पष्टï करना चाहते हैं कि दाइची द्वारा याचिका में जो आधार दिया गया है वह बेबुनियाद है। मालविंदर और शिविंदर सिंह ने हेल्थकेयर समूह के निदेशक पद से 8 फरवरी को ही इस्तीफा दे दिया था और वर्तमान में कंपनी में उनकी हिस्सेदारी नगण्य है। आईएचएच हेल्थकेयर को भी इस बारे में ईमेल भेजा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

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