24 फार्मेसी इंस्पेक्टर होंगे नियुक्त

फार्मेसी काउंसिल
रांची। राज्य में अवैध दवा दुकानों पर रोक लगाने के लिए 24 फार्मेसी इंस्पेक्टर नियुक्त किए जाएंगे। बता दें कि राज्य में दवा दुकानों पर फार्मासिस्ट रखना अनिवार्य है। लेकिन ज्यादातर स्टोर पर फार्मासिस्ट नहीं रखे गए हैं। एक फार्मासिस्ट के नाम से कई-कई दवा दुकानें अवैध तरीके से चलाई जा रही हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार ने सख्त कदम उठाया है। पहले चरण में सभी जिलों के लिए फार्मेसी इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जाएगी। इससे संबंध में झारखंड फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार ने बताया कि राज्य में फार्मेसी का काम भी ड्रग इंस्पेक्टर ही देखते हैं, जो नियम के अनुकूल नहीं है।
ड्रग इंस्पेक्टर का काम सिर्फ दवाओं का निरीक्षण करना है। उनकी गुणवत्ता मेंटेन करवानी है। फार्मेसी इंस्पेक्टर नहीं होने से मजबूरीवश दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की मौजूदगी का इंस्पेक्शन ड्रग इंस्पेक्टर को ही करना होता है। उन्होंने बताया कि देश के चार राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, गोवा में फार्मेसी इंस्पेक्टर की तैनाती से दवाओं की गड़बड़ी की शिकायतें दूर हुई हैं। इन राज्यों में ड्रग और फार्मेसी इंस्पेक्टर साथ मिलकर काम करते हैं। दरअसल, प्रिस्क्रिप्शन लेकर दवा खरीदने आए मरीजों या उनके परिजनों को दुकानदार अनुभव के आधार पर ही दवाएं देते हैं।
डॉक्टरों का लिखा भी ज्यादातर दुकानदारों को समझ में नहीं आता। कई बार ऐसा भी होता है कि डोज का पता नहीं होने से वे अधिक या कम डोज वाली दवाएं दे देते हैं, जिससे दवाएं फायदा करने की बजाय नुकसान करती हैं। वहीं, उस दुकान में यदि फार्मासिस्ट है तो उसे दवाओं का पूरा ज्ञान होता है। किस दवा की कितनी डोज देनी है, डॉक्टर ने कौन सी दवा लिखी है, उसके अनुसार ही वह दवाएं देता है। फार्मेसी इंस्पेक्टर का मुख्य कार्य दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। इंस्पेक्शन के दौरान जिस दवा दुकान में फार्मासिस्ट नहीं मिलेगा, फार्मेसी इंस्पेक्टर उस पर एक हजार रुपए का जुर्माना लगा सकेंगे। इसके अलावा दवा दुकान सील करवाने तक का भी अधिकार उनके पास होगा।
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