लाखों के दवा बजट में धांधली उजागर

गोरखपुर। महिला अस्पताल में दवा खरीद में लाखों रुपए का घोटाला प्रकाश में आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की आडिट टीम ने इस धांधली का पर्दाफाश करते हुए बताया कि करीब 8 लाख रुपए का हेरफेर हुआ है। अस्पताल में दवा खरीद के बजट से 3 लाख रुपए के सर्जिकल उपकरण और चद्दर खरीद लिए गए। इसके अलावा करीब एक लाख रुपए कीमत की गाज पट्टी खरीदी गई जिस पर निर्माता का नाम तक नहीं है। वर्ष 2016-17 के इस दवा खरीद घोटाले में दो पूर्व एसआईसी और दो फार्मासिस्ट समेत 6 कर्मचारी शामिल बताए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि 200 बेड वाले महिला अस्पताल में औषधि और रसायन के मद में 70 से 80 लाख रुपए मिलते हैं। इनमें से हर साल औसतन 60 लाख रुपए की दवा खरीदी जाती है। करीब आठ महीने पहले कैग ने अस्पताल के रिकार्ड की जांच की। कैग ने आठ बड़ी कमियां निकाली है। तत्कालीन एसआईसी और फार्मासिस्ट ने यूपी स्टेट हैंडलूम कार्पोरेशन से 84 हजार रुपए की कॉटन बैंडेज खरीदी। फर्म की बिल पर बैच नंबर, मैनुफैक्चरिंग व एक्सपायर डेट और निर्माता फर्म का विवरण अंकित नहीं है। इतना ही नहीं, जिस फर्म से इसकी खरीद की गई, उसका ड्रग लाइसेंस भी अस्पताल प्रशासन के पास नहीं मिला। कैग ने इसे सीधे अनियमितता माना है। अस्पताल में सबसे बड़ी अनियमितता औषधि क्रय के बजट में हुई।
अस्पताल प्रशासन ने इस बजट में से करीब ढाई लाख रुपए का अनाप-शनाप सामान खरीद लिया। इसमें 66 हजार रुपए से चद्दर, 33 हजार रुपए से एपे्रन और 47 हजार रुपए से स्ट्रेलाइजर समेत सात सामान खरीदे गए। इसके अलावा, कैल्शियम टैबलेट की खरीद में भी अनियमितता मिली है। टैबलेट की खरीद में यूनिक्यूर प्राइवेट इंडिया लिमिटेड को करीब 25 हजार रुपए का इंडेंट जारी किया जबकि भुगतान में फर्म का नाम बदल गया। कैग रिपोर्ट के मुताबिक उन्हीं दवाओं की खरीद हो सकती है जिनके पास एनएबीएल लैब की एनॉलिसिस रिपोर्ट हो। अस्पताल में कैप्सूल विटामिन बी , हाईड्रोक्साइड जेल, आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां, एमॉक्सीसलीन और बेक्लोमेट दवाएं बगैर एनएबीएल रिपोर्ट के ही खरीद लीं। इसकी कीमत करीब दो लाख रुपए है। कैग ने दवाओं की खरीद के दौरान वैट की भी हेराफेरी की पकड़ी है। महिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि अस्पताल के दवा खरीद में घोटाला हुआ है। कैग की रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि की है। कैग ने रिकवरी की सिफारिश भी की है। यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब होगा।
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