हिमाचल: मजाक-सा लग रही है सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा

धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जीवन रक्षक गोलियां उपलब्ध करवाने की घोषणा मजाक नजर आती है। सरकार द्वारा प्रदेश के सभी अस्पतालों में जीवन रक्षक गोलियां उपलब्ध करवाने के लिए 22 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करने के बाद भी हिमाचल स्वास्थ्य विभाग लोगों को हवा में जीवन रक्षक गोलियां खिला रहा है। लगभग एक माह पूर्व हिमाचल सरकार ने पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर सभी अस्पतालों अस्पतालों में निशुल्क दवाईयां देने की घोषणा की थी, लेकिन यह दवाईयां किसी भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाई है।
सरकार ने सरकारी अस्पतालों में 57 दवाईयां नि: शुल्क देने की अधिसूचना भी जारी की है, लकिन अस्पतालों में निशुल्क जीवन रक्षक गोलियों का कोई अता-पता नही है। सरकारी अस्पतालों अतिरिक्त सरकार ने डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज टांडा म ेंमेडिसन ओपीडी में श्ह दवाईयां उपलब्ध करवाने की भी बात कही थी परंतु प्रति दिन यहां हजारों की संख्या में मरीज अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। सरकारी घोषणा की तरफ ध्यान दें तो नि: शुल्क जीवन रक्षक गोलियों से अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन गरीब लोगों को फायदा होना था जो पैसों की कमी के कारण इलाज करवाने में असमर्थ रहते हैं।
बदलते मौसम के साथ ही प्रदेश में डायरिया, मलेरिया, उल्टी-दस्त आदि रोगों को लेकर सरकार ने सरकारी अस्पतालों में विशेष निर्देश भी दिए हैं, परंतु अस्पतालों मेंं जीवन रक्षक दवाईयां न होना डाक्टरों के लिए भी एक बड़ी चुनौति बनती जा रही है। डाक्टरों द्वारा मरीजों को लिखकर दी जाने वाली दवाईयां ज्यादातर मरीजों को अस्पताल के बाहर से ही खरीदनी पड़ रही है। अस्पतालों में दवईयों को लेकर भटक रहे रोगियों का कहना है कि डाक्टरों द्वारा लिखी गई दवाईयां अस्पताल में ही मिलनी चाहिए। क्योंकि अस्पताल में दवाइयां नहीं मिलने से उन्हें रुपये खर्च कर बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। जबकि सरकार द्वारा ये दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध करवाने की बात कही गई है।
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के स्टोर में दवा हर समय उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन बताया जा रहा है कि दवा का आर्डर होने के बाद भी उसकी सप्लाई पहुंच रही हैं। यह भी बताया जा रहा है कि जीवन रक्षक दवाईयों की सप्लाई समय में हो सके उस सिस्टम को भी अपडेट नहीं किया जा रहा है। तमिलनाडु मेडिसिन कारपोरेशन द्वारा भी इस बारे कोई जानाकरी स्वास्थ्य विभाग को नही दी जा रही है। सरकार द्वारा डाक्टरों को जीवन रक्षक दवाईयां लिखने के निर्देश भी है मगर डाक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाईयां जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
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