मुंबई। केंद्र सरकार ने देशभर में स्टेंट की कीमतें नियंत्रित कर दी। इसके बावजूद दिल के रोगियों को इसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। रोगियों को मेडिकल बिल पहले के समान चुकाना पड़ रहा है। दरअसल, अस्पतालों ने रेवेन्यू लॉस पूरा करने के लिए प्रोसिजर कॉस्ट में बदलाव कर दिया। इस साल फरवरी में नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने ड्रग एल्युटिंग स्टेंट्स (डीईएस) और बायोरिजॉर्बेबल वेस्क्युलर स्केफोल्ड्स (बीवीएस) के दाम घटा दिए थे। इस बारे में हॉस्पिटल चेन नारायण हृदयालय के सीईओ आशुतोष रघुवंशी का कहना है कि इंडस्ट्री के प्राइसिंग मैकेनिजम में बुनियादी तौर पर कई खामियां थी। प्रॉफिटेबिलिटी प्रसीजर नहीं बल्कि इंप्लांट या स्टेंट में था। इन प्रसीजर की प्राइसिंग ठीक तरह से नहीं की गई थी, इसलिए जरूरत पडऩे पर उनमें सुधार किया गया।
इसलिए हमने अपने पैकेज को अलग-अलग कर दिया है। मरीज के इलाज का खर्च प्राइस कंट्रोल से पहले जितना ही रहेगा। फरवरी में प्राइस कंट्रोल ऑर्डर पास करने के बाद एनपीपीए ने अस्पतालों पर छह महीने तक के लिए प्रसीजर कॉस्ट में बदलाव करने पर रोक लगा दी। इसके चलते नारायण हृदयालय को करीब 30 करोड़ का लॉस हुआ। रेग्युलेटर ने स्टेंट कंपनियों पर भी ऐसी ही पाबंदियां लगा दी थीं, जिनमें उन्हें अपने प्रॉडक्ट्स अक्टूबर से पहले बाजार से हटाने की इजाजत नहीं थी। अस्पतालों को प्रॉफिट इंप्लांट्स में होता था न कि प्रसीजर मेंं। अस्पताल इंप्लांट्स से प्रसीजर की क्रॉस सब्सिडाइजिंग (इंप्लांट्स से प्रसीजर कॉस्ट की भरपाई) कर रहे थे। प्राइस रेग्युलेशन से पहले मरीजों को एक बिल उनकी एंजियोप्लास्टी के लिए मिलता था। अब अस्पतालों ने उनको स्टेंट और प्रसीजर का अलग-अलग बिल देना शुरू कर दिया है।
स्टेंट का दाम घटाने पर उनके सप्लायर मल्टीनेशनल मेडिकल डिवाइस मेकर्स नाराज हो गए। स्टेंट के प्राइस कट के बाद नी इंप्लांट के प्राइस भी घटाने के बाद एडवामेड ने कहा कि प्राइस कंट्रोल से अफोर्डेबिलिटी ओर ऐक्सेसिबिलिटी से जुड़ी समस्याएं खत्म नहीं हुई हैं और इसका उलटा असर हुआ। इससे अगली पीढ़ी के डिवाइस और इनोवेटिव टेक्नॉलोजी ऐक्सेस को लेकर फिक्र पैदा हो गई है। एसोसिएशन ने कहा कि जिस पॉलिसी से इनोवेशन में रुकावट पैदा होगी, उससे इंडियन इनोवेटर्स ग्लोबल मार्केट में कॉम्पिटिटीव नहीं रह जाएंगे और ग्लोबल कंपनियां अपने लेटेस्ट प्रॉडक्ट्स इंडियन पेशंट्स को मुहैया कराने से कतराएंगी।