खुलासा: इलाज करने में आलसी हो रहे डॉक्टर

नई दिल्ली। भगवान को दूसरा रूप माने जाने वाले डाक्टर अपने मरीज को प्राथमिक परामर्श देने में बेहद कम समय लगाते हैं। दुनिया की आधी आबादी को डॉक्टर का पांच मिनट से भी कम समय मिलता है। इस मामले में सबसे खराब स्थिति बांग्लादेश की है। वहां मरीज को 48 सेकंड और सबसे अच्छी स्थिति वाले देश स्वीडन में मरीजों को 22.5 मिनट का समय मिल जाता है। यह खुलासा वैश्विक स्तर पर किए गए एक अध्ययन में हुआ है। इस स्टडी के अनुसार भारत में एक मरीज को देखने में डॉक्टर मुश्किल से औसतन दो मिनट का ही समय देते हैं, वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में 2016 में यह समय केवल 1.79 मिनट माना गया है। शोधकर्ताओं ने यह रिपोर्ट 67 देशों में किए गए 178 अध्ययनों के आधार पर तैयार की है। इसमें 2.85 करोड़ परामर्शों को शामिल किया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की आधी आबादी वाले 15 देशों में मरीजों को औसतन पांच मिनट से भी कम समय मिलता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अनुसार परामर्श के लिए कम समय का सीधा संबंध खराब स्वास्थ्य सेवाओं से है। इसका असर मरीज के स्वास्थ्य पर पड़ता है और डॉक्टर के ऊपर भी दबाव और जोखिम होता है। जिस तरह से दुनियाभर में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए परामर्श के समय को बढ़ाने का भी दबाव बढ़ता जा रहा है। यह पांच मिनट कम हैं। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि इसे कैसे बढ़ाया जाए।

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर दबाव
राजधानी दिल्ली स्थित आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और हड्डियों के सर्जन डॉ. आकाश चौधरी का कहना है कि मरीजों को कम परामर्श समय देने संबंधी रिपोर्ट निराशाजनक है। वास्तव में ये आंकड़ा मरीजों को परामर्श देने वाले डॉक्टरों का सामूहिक रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है। इसमें सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं, जहां मरीजों की संख्या बहुत अधिक रहती है। वहां डॉक्टरों को एक से दो घंटे में औसतन सौ से भी ज्यादा मरीजों को देखना पड़ता है। कुल मिलाकर यह रिपोर्ट सही स्थिति बयां करती प्रतीत हो रही है।

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