आई कैंपों में ऑपरेशन करवाया तो हो सकते हैं अंधे

चंडीगढ़

सावधान! आई कैंपों में ऑपरेशन करवाने जा रहे हैं तो देख लें ये रिपोर्ट, नहीं तो बुझ सकती है आपके आंखों की रोशनी। दरअसल आई कैंप में आंखों की रोशनी जाने की सबसे बड़ी वजह है सस्ते और मिलावटी फ्लूड। आमतौर पर आई कैंप में या सस्ते रेटों पर जब आंखों के ऑपरेशन किए जाते हैं तो उनमें सस्ते और मिलावटी फ्लूड का ही इस्तेमाल किया जाता है। इससे मरीजों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। यह खुलासा पद्मश्री और पीजीआई आई सेंटर के पूर्व एचओडी प्रोफेसर अमोद गुप्ता ने किया

पद्मश्री प्रोफेसर अमोद गुप्ता ने बताया कि पीजीआई जैसे हास्पिटल में ब्रांडेड और मानकीकृत (स्टैंडर्डाइज्ड) फ्लूड का प्रयोग किया जाता है, जबकि कैंपों या सस्ते रेटों पर सर्जरी करने वाले हास्पिटल में घटिया व सस्ते किस्म के फ्लूड का उपयोग होता है। फ्लूड का इस्तेमाल मोतियाबिंद को निकालने और लैंस इंप्लाट के दौरान होता है। बाजार में घटिया क्वालिटी का फ्लूड क्यों उपलब्ध है। इसका सीधा मतलब यही है कि ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी सही से काम नहीं कर रही है। उनकी जांच नहीं हो रही है। वह धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। आम आदमी को इस बारे में जानकारी नहीं होती है और न ही वह इसके लिए अवेयर होते हैं। लोगों में एक माइंडसेट यह भी है कि डॉक्टर महंगी दवाएं ही लिखते हैं, जबकि ऐसा नहीं होता है। डॉक्टर ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं इसलिए लिखते हैं, ताकि कोई रिस्क नहीं हो। आंखें काफी सेंसिटिव होती हैं। प्रदेश सरकार या ड्रग्स अथॉरिटी को चाहिए कि वे दवाओं और फ्लूड में क्वालिटी कंट्रोल को जरूर मेंटेंन करें।

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