जाली फार्मासिस्ट के नाम से 10 साल से चल रही दुकान

रांची

दवा दुकानों के लाइसेंस जारी करने में धांधली की शिकायतें मिलती रही हैं, नए खुलासे से इस बात की पुष्टि होती है। ड्रग लाइसेंस जारी करने वाले एक अधिकारी (रिजनल लाइसेंसिंग ऑथोरिटी) ने वर्ष 2004 में दवा दुकान नेहा फार्मा, न्यू बस स्टैंड, रामगढ़ का ड्रग लाइसेंस जारी किया था। यह लाइसेंस जाली फार्मासिस्ट के आधार पर जारी हुआ।
इसमें फार्मासिस्ट की निबंधन संख्या व नाम अलग-अलग हैं। यही नहीं जिस फार्मासिस्ट चंद्रशेखर कुमार सिंह की निबंधन संख्या (20510-जेएच-29) का इस्तेमाल किसी चंद्रकांत कुमार अंबष्ठ के नाम पर किया गया, उसे इसकी जानकारी 10 साल बाद तब मिली, जब वह औषधि निदेशालय की ओर से जारी ग्रीन कार्ड लेने आरसीएच परिसर, नामकुम स्थित औषधि निदेशालय पहुंचा।
ताजा मामले में तत्कालीन हजारीबाग जिले से संबंद्ध डीआइ व आरएलए पर आरोप है कि उनकी जानकारी में यह सब कुछ हुआ। इधर, चंद्रशेखर की लिखित शिकायत के बाद भी आरएलए कार्यालय ने कोई कार्रवाई नहीं की है। शिकायत के बाद दवा दुकान नेहा फार्मा कुछ दिनों के लिए बंद हो गयी थी, पर बाद में किसी और फार्मासिस्ट के नाम से फिर खुल गई।
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