बजट – सस्ती दवा और स्वास्थ्य बीमे का टॉनिक

वित्तमंत्री अरुण जेटली के आम बजट में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का रंग भी नजर आया। बजट में जहां एक तिहाई लोगों को स्वास्थ्य बीमा दिए जाने की घोषणा हुई है तो साथ ही आम आदमी को सस्ती दवा उपलब्ध कराने की दिशा में भी जोर दिया है। जेटली के पिटारे से गरीब लोगों के लिए 3 हजार सस्ती दवाओं के स्टोर बाहर निकले है, जिसके भरोसे कमजोर आय वर्ग के लोगों को मजबूत स्वास्थ्य लाभ देने का लक्ष्य तय करने का प्रयास होगा।

 
वैस पिछले दिनों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फॉर्मास्युटिकल विभाग को भी निर्देश जारी कर कहा था कि वो दवा बनाने वाली ब्रैंडेड कंपनियों की जेनरिक दवाओं की कीमत कम कराए। निर्देश के मुताबिक ब्रांडेड कंपनियों को उनकी जेनरिक दवाओं के डिब्बों पर उनका वास्तविक एमआरपी प्रिंट करने को कहा गया। इसके पीछे तर्क यह था कि ऐसा होने पर लोगों के पास ब्रांडेड कंपनियों की जेनरिक दवा 80 प्रतिशत तक दाम पर पहुंचेगी। इससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा मुहैया कराना आसान होगा।
दवा बनाने वाली नैशनल एवं मल्टीनैशनल कंपनियां अभी अपनी जेनरिक दवाओं पर भी ब्रैंडेड के बराबर कीमत बतौर एमआरपी प्रिंट करते हैं। हालांकि यह दवाएं ब्रैंडेड दवा की तुलना में 80 फीसदी तक सस्ती होती है। कंपनियां इन्हें सस्ते दामों पर बेचती भी हैं, लेकिन रिटेलर और होल सेलर इन दवाओं को अपने हिसाब से बेचते हैं।
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