ऐसे कैसे बनेगा आयुर्वेद का केरल हरियाणा

जब हो रही आयुर्वेद की आयु बढ़ाने वाले औजारों की बेकद्री

कुरुक्षेत्र
इसी महीने मार्च के पहले सप्ताह अंबाला में लगे प्रदेश स्तरीय आरोग्य मेले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने हरियाणा को आयुर्वेद का केरल बनाने का सपना दिखाया था, लेकिन इस सपने को साकार करने वाले औजारों की बेहद बेकद्री हो रही है। कृष्ण की धरती कुरुक्षेत्र पर स्थापित राज्य के एकमात्र श्रीकृष्णा आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल परिसर से सरकार आयुर्वेद का झंडा बुलंद करना चाह रही है, वहां करोड़ों रुपये लागत से बनी इमारत में लाखों की मशीनें कबाड़ हो रही हैं। ये मशीनें नौ वर्ष पहले खरीदी गई थीं और अभी तक इनका उपयोग नहीं किया गया है। इसी परिसर में प्रदेश की पहली और एकमात्र आयुष ड्रग टेस्टिंग लैब और फार्मेसी के लिए इमारत बनाई गई थी। इसके लिए लाई गईं मशीनों की आज तक पैकिंग भी नहीं खुल पाई है।

इमारत पर लटका ताला प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री या फिर विभाग के महानिदेशक के निरीक्षण के दौरान ही खुला था। 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुकी राजरानी को लैब की सुप्रींटेंडेंट बनाया गया था, लेकिन यह नियुक्तिभी कागजों तक ही सिमट कर रह गई। नियुक्तिसे लेकर सेवानिवृत्ति तक उन्हें ही विभाग ने डेपुटेशन पर मुख्यालय में ही रखा। प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लाख दावे कर रहे हैं, लेकिन लैब और फार्मेसी की हालत उसके दावों की पोल खोल रही है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने हाल ही में दावा किया है कि प्रदेश के एकमात्र आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल को आयुष यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। पूर्व की सरकार ने भी इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा देने का दावा किया था, लेकिन उसके लिए बनाई गई कमेटी रिपोर्ट से आगे नहीं बढ़ पाई।

आयुष विभाग के महानिदेशक ने 21 जनवरी को यहां निरीक्षण किया था। वह भी लैब और फार्मेसी की हालत देखकर दंग रह गए थे। उन्होंने इसे 10 दिन में शुरू करने के निर्देश दिए थे। लैब के लिए कॉलेज के रस शास्त्र विभाग के शिक्षक रविराज को, जबकि फार्मेसी के लिए शिक्षिका डॉ. विदुषी को इंचार्ज बनाया था। समय सीमा पूरी होने के बाद भी आज तक ताला नहीं खुल पाया है।
फार्मेसी में आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जानी हैं तो लैबोरेटरी में उनकी टेस्टिंग की जानी है। इसके अलावा बाहर से आने वाली आयुर्वेदिक दवाओं के टेस्ट भी यहीं होने हैं। इन दोनों के शुरू न होने से दूसरे प्रदेशों से आयुर्वेदिक दवाएं लेनी पड़ रही हैं।

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