करोड़ों खर्च के बाद भी बढ़ रही टीबी मरीजों की तादाद

भोपाल
भोपाल में अरेरा कॉलोनी सहित कई पॉश कॉलोनियों में बसी छोटी बस्तियों को टीबी रोग के लिए संवेदनशील माना गया है। इसका कारण हर साल टीबी रोग के 4 हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। जिला क्षय केंद्र में नए मरीजों के रजिस्ट्रेशन में इस बड़ी संख्या को देखते हुए शहर के कई इलाके टीबी के लिए संवेदनशील माने गए हैं। रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2015 में टीबी के 20306 संदिग्ध मरीजों को चिन्हित किया गया। 5483 मरीजों जांच की गई। इसमें 4772 मरीज रजिस्टर्ड किए गए। टीबी पर नियंत्रण के लिए सरकार हर साल जिले में दो करोड़ रुपए का बजट देती है। इसके बाद भी पिछले चार वर्षों में टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है। अभी भी हर साल 125 से ज्यादा मरीजों की मौत इससे हो रही है। जिला क्षय अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने बताया कि टीबी के इलाज के दौरान कई मरीज बीच में ही दवा छोड़ देते हैं, ऐसे में वे एमडीआर के शिकार हो जाते हैं। इस वर्ष एमडीआर के 300 मरीज मिले, 150 का इलाज चल रहा है।

जानकारी नहीं दे रहे डॉक्टर: नियमों के तहत किसी भी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल में टीबी मरीज पहुंचने पर उसका नाम, पता स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है। शहर में एक हजार से ज्यादा डॉक्टर हैं। इनमें से सिर्फ 803 ही मरीजों की जानकारी दे रहे हैं। पिछले वर्ष 10 डॉक्टर्स और 10 नर्सिंग होम को जानकारी न देने पर कारण बताओं नोटिस भी जारी किया गया था।

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