सरकारी लैब की जांच रिपोर्ट पर सवालिया निशान

जयपुर (राजस्थान)। दवा और खाद्य पदार्थों में मिलावट जांचने के लिए संचालित सरकारी लैब से मिलने वाली रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग गया है। जानकारी मिली है कि ये लैब अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरी नहीं हैं। स्थानीय सेठी कॉलोनी मेें 1969 में स्थापित सरकारी ड्रग टेस्टिंग लैब और 1955 में स्थापित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला आज भी नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्री (एनएबीएल) से मान्य नहीं हैं। वर्तमान में जयपुर समेत जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, अलवर, कोटा में खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला हैं।

ड्रग फूड टेस्टिंग लैब में स्टाफ उपकरणों की काफी कमी है। एक-एक फूड एनालिस्ट दो-दो लैबों में काम कर रहे हैं। ड्रग टेस्टिंग लैब जयपुर में 64 में 43 पद खाली हैं। इस बारे में विशेषज्ञ वीएन वर्मा का कहना है कि राजस्थान की ड्रग फूड टेस्टिंग लैब के एनएबीएल से मान्य नहीं होने से जांच रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के अनुसार एफएसएसएआई ने 481.95 करोड़ की लागत से एक योजना के तहत बड़े राज्य में कम से कम एक स्टेट फूड लैब तथा एक-एक मोबाइल लैब को अपग्रेड करना प्रस्तावित है।

राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला का एनएबीएल अर्थात अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन (आईएसओ, आईईसी 17025 :2005) लेना अनिवार्य है। ड्रग कंट्रोलर प्रथम अजय फाटक का कहना है कि इंडियन, ब्रिटिश यूनाइटेड स्टेट फार्माकॉपिया के स्टैंडर्ड के आधार पर दवाओं की जांच की जा रही है। एनएबीएल से मान्यता के लिए पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर, मैनपावर एवं उपकरणों को अपग्रेड करना होगा। वहीं, चीफ फूड एनालिस्ट नवीन माहेश्वरी ने कहा कि मौजूदा स्थिति में एक भी सरकारी खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला एनएबीएल से मान्य नहीं है। मौजूदा स्थिति में फूड एनालिस्ट, सीनियर जूनियर एनालिटिकल असिस्टेंट, सीनियर लैब टेक्नीशियन जैसे पदों की कमी है।

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अॅथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) नई दिल्ली द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत बनाए देश में 219 खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला संचालित हैं। इनमें 72 सरकारी, एनएबीएल से मान्यता प्राप्त 131 निजी तथा 16 रैफरल लैब है ।

इस संबंध में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि सरकारी ड्रग फूड टेस्टिंग लैब को एनएबीएल से मान्यता दिलाना प्रस्तावित है। उनके स्टैंडर्ड के आधार पर पहले लैब का अपग्रेडेशन किया जा रहा है। स्टाफ की कमी को पूरा करने के बाद मान्यता लेने की कार्यवाही करेंगे।

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