छत्तीसगढ़: अधूरी लैब में हो रही दवाओं की अधूरी जांच

रायपुर:  छत्तीसगढ़ की एकमात्र सरकारी ड्रग लेबोरेट्री में आधे उपकरणों के कारण पहले ही दवाओं की आधी-अधूरी जांच हो रही है, अब ड्रग एनालिस्ट के इस्तीफे के बाद जांच पूरी तरह बंद कर दी गई है। ऐसे में बिना जांच वाली दवा खाकर किसी मरीज की जान चली जाए, तो जिम्मेदारी किसकी तय होगी, यह सवाल सरकार और आम जनता के बीच मुंह बाए खड़ा है। दवाओं की गुणवत्ता को परखने का जिम्मा राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन का है। विभाग में 81 ड्रग इंस्पेक्टर हैं। लेकिन ड्रग एनालिस्ट के इस्तीफे से जांच बंद होने की वजह से सैंपलिंग नहीं कर रहे। यह स्थिति तब है जब राज्य अमानक दवाओं की वजह से नसबंदी और आंखफोड़वा कांड सहित कई बड़ी घटनाओं का कलंक झेल चुका है।
चार महीने से खाली पड़े ड्रग एनालिस्ट के पद को पहले की ही तरह संविदा आधार पर भरने की तैयारी है। सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त ड्रग एनालिस्ट को लाने की तैयारी हो रही है। बीते 2 साल से कॉस्मेटिक, सर्जिकल और एकाध दवाओं की ही जांच हो रही थी। कुल 42 सैंपल की जांच हुई, लेकिन जिस अधिकारी यानी सरकारी ड्रग एनालिस्ट के साइन से कोर्ट केस लगते हैं, उन्होंने लंबी छुट्टी के बाद व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया। तब से दवा जांचका काम ठप है।
घटिया दवाओं से लगे कलंक:  बिलासपुर नसबंदी कांड में 16 महिलाओं की मौत और बागबाहरा नेत्रकांड में 14 मरीजों आंखों की रोशनी जाने की बड़ी वजह अमानक दवाएं ही थीं। इसकी पुष्टि सरकारी लैब ने भी की है। घटिया दवाओं से रिएक्शन, असर न होने की स्थिति में रोग बढऩे, जान जाने तक का खतरा होता है। सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री (सीडीएल) ने छत्तीसगढ़ के सैंपल की जांच करने से बहुत पहले हाथ खड़ा कर दिया था। सीडीएल ने साफ शब्दों में कह दिया है कि राज्य पहले अपनी लैब में सैंपल की जांच करे।
जानकारी के मुताबिक, भारत में छत्तीसगढ़ की राजधानी का दवा बाजार सबसे बड़ा है। यहां से दवाएं पड़ोसी राज्यों में जाती हैं। यह अमानक दवाओं की खपत का भी धंधा खूब होता है। स्वास्थ्य केंद्रों के लिए दवा खरीदने वाली वाली एजेंसी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) को राज्य में शासकीय लैब के फंक्शन न होने की वजह से मजबूरन देश की 6 निजी लैब से अनुबंध कर जांच करवानी पड़ रही है। इन लैब की रिपोर्ट को कोर्ट मान्य नहीं करता है। फिलहाल राज्य में सरकारी ड्रग एनालिस्ट की जरूरत है जिसकी योग्यता, मास्टर ऑफ फॉर्मेसी, बतौर शासकीय एनालिस्ट 3 साल का अनुभव। बी.फॉर्मा 5 साल के अनुभव के साथ। एम.फॉर्मा और सेंट्रल ड्रग लैबोरेट्री में 2 साल का प्रशिक्षण प्राप्त होना तय है। राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रक अधिकारी कहते हैं कि नए अधिकारी की नियुक्तिकी प्रक्रिया चल रही है।
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