उत्तर प्रदेश: कुपोषण से असमय मर रहे हैं रोजाना 650 बच्चे

लखनऊ:  स्टेट न्यूट्रीशन मिशन-2014 के तहत प्राप्त हुए आंकड़ों ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोल कर रख दी। आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हर रोज 650 बच्चों की मौत कुपोषण के कारण हो रही है। 70 प्रतिशत बच्चों का जन्म सरकारी अस्पतालों में होता है। इसके बावजूद न तो ब्रेस्ट फीडिंग को बढ़ावा मिल पा रहा है न ही माओं की सेहत सुधर रही है। 50 फीसदी माताएं खून की कमी से जूझ रही हैं। ये आंकड़ें जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से जुटाया गया है। सरकारी आंकड़ों से इतर बात करें तो साल में तीन लाख से भी ज्यादा बच्चों की मौत हर साल कुपोषण से होती है। प्रदेश में 12 लाख 60 हजार बच्चे अति कुपोषित हैं। आंकड़ें बताते हैं कि हर 7वां बच्चा अंडरवेट है। आधे से ज्यादा बच्चों की लंबाई औसत से कम 6-5 साल की उम्र के चार में से तीन बच्चे एनीमिक 6 में 5 माताएं बच्चों को 6 महीने तक दूध नहीं पिलाती हैं। इसके कारण बच्चों को पोषण नहीं मिल पा रहा है। महिलाएं खुद एनिमिया से पीडि़त हैं। डिलीवरी के लिए सरकारी संस्थाओं में आने वाली महिलाओं में 50 प्रतिशत एनिमिक होती हैं। ऐसी माताओं के बच्चों में 10 फीसदी की आईक्यू लेवल सामान्य से कम होता है। ऐसी माताओं के बच्चे अंडरवेट होते हैं। जबकि 35 लाख बच्चे पौष्टिक आहार नहीं मिलने के कारण सूखा रोग से पीडि़त हैं। स्ट्रैटिजिक पार्टनर्स ग्रुप्स की प्रेसवार्ता में वात्सल्य संस्था की डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि प्रदेश में 70 प्रतिशत डिलीवरी सरकारी संस्थानों में हो रही हैं। अधिकांश माएं अब भी बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करवाती।

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