इनोवेटर दवाओं का अवैध आयात 

हैदराबाद। मल्टीनेशनल फार्मास्युटिकल कंपनियों ने भारत में पड़ोसी देशों से करोड़ों रुपए की इनोवेटर दवाओं के अवैध इम्पोर्ट पर नाराजगी जताई है। इन कंपनियों का कहना है कि इन दवाओं का इम्पोर्ट वैध लाइसेंस के बिना किया जा रहा है और इन्हें फार्मेसी, डिस्ट्रीब्यूटर्स और वेबसाइट्स गैर कानूनी तरीके से बेच रहे हैं। इन कंपनियों का भारत में प्रतिनिधित्व करने वाले ऑर्गनाइजेशन ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) का दावा है कि इनोवेटर दवाओं का भारत में बड़े पैमाने पर अवैध इम्पोर्ट होने से भारतीय और विदेशी दवा कंपनियों के बिजनेस पर असर पड़ रहा है। ओपीपीआई के सदस्यों में एबॉट, फाइजर, नोवार्टिस, मर्क, सनोफी जैसी बड़ी दवा कंपनियां शामिल हैं। ओपीपीआई की डायरेक्टर जनरल कंचना टीके ने कहा कि उनकी जांच में यह पुष्टि हुई है कि इन इनोवेटर दवाओं की मैन्युफैक्चरर बताई गई कुछ कंपनियां भारत में इनको अवैध तरीके से इम्पोर्ट कर रही हैं। ये कंपनियां वास्तव में उन देशों में रजिस्टर्ड भी नहीं हैं, जहां से दवाओं का इम्पोर्ट किया जा रहा है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत इनोवेटर दवाओं का बिना वैध लाइसेंस के इम्पोर्ट नहीं किया जा सकता। बांग्लादेश के पास अभी कम विकसित देश (एलडीसी) का दर्जा है और इस वजह से उसे अपने देश में खपत के लिए इनोवेटर कंपनियों की पेटेंटेड दवाओं के प्रॉडक्शन की अनुमति है। कंचना ने बताया कि हमें पता चला है कि इनोवेटर दवाओं का भारत में बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से गैरकानूनी तरीके से इम्पोर्ट किया जा रहा है। हमें यह पता नहीं है कि क्या इन दवाओं का प्रॉडक्शन बांग्लादेश में खपत के लिए किया गया था। हम इनकी क्वॉलिटी के बारे में भी आश्वस्त नहीं हैं। ये दवाएं बड़ी इनोवेटर कंपनियों की ब्रांड नामों की नकल कर रही हैं। स्टैंडर्ड क्वॉलिटी नहीं रखने वाली दवाओं के भारत में अवैध इम्पोर्ट के कारण ओपीपीआई को निर्धन मरीजों की सुरक्षा के बारे में चिंता है। ओपीपीआई अभी भारत में इनोवेटर दवाओं की गैर कानूनी बिक्री पर डेटा एकत्र कर रहा है। इसके बाद वह हेल्थ मिनिस्ट्री और फार्मा रेगुलेटर को अपनी शिकायत देगा। कंचना ने बताया कि भारत में गैर कानूनी तरीके से इम्पोर्ट हो रही कुछ दवाओं की मार्केटिंग इंडियामार्ट जैसी वेबसाइट्स बिना वैध लाइसेंस के कर रही हैं। इनमें मुख्य तौर पर कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कंपनियां अपने संबंधित देशों में रजिस्टर्ड भी नहीं हैं। इसका एक उदाहरण ल्युसियस फार्मास्युटिकल्स है, जो श्रीलंका में एक रजिस्टर्ड मैन्युफैक्चरर नहीं है।
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