दिल के रोग में ‘एस्प्रिन’ देना ठीक नहीं

नई दिल्ली। दिल से जुड़ी बीमारियों में वृद्ध मरीजों को अक्सर एस्प्रिन दवा दी जाती है। अब अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने डॉक्टरों को यह दवा नहीं देने का सुझाव दिया है।
नई गाइडलाइन्स में बताया गया है कि कम खुराक वाली एस्प्रिन को 70 साल या उससे अधिक उम्र के ऐसे किसी भी बुजुर्ग को नहीं देना चाहिए जो स्वस्थ है या जिसे इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा है। डॉ. एरिन माइकोस के अनुसार यह गाइडलाइन्स विशेष तौर पर उन लोगों के लिए है जिनमें दिल की बीमारी या स्ट्रोक से जुड़े कोई संकेत दिखाई नहीं देते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन मरीजों को पहले दिल का दौरा पड़ चुका हो या स्टेंट लगा हो, उन्हें एस्प्रिन लेना जारी रखना चाहिए। हालांकि, डॉक्टर एस्प्रिन डोज हाई रिस्क मरीजों को प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। जैसे कि वे मरीज जिन्हें अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल व शुगर लेवल को नियंत्रित रखने या कम करने में दिक्कत हो, लेकिन इसमें भी यह बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि एस्प्रिन के कारण उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा न हो। दिल की बीमारी को दूर रखने के लिए गाइडलाइन्स में लाइफस्टाइल से जुड़े बदलाव लाने के सुझाव दिए गए हैं। इनमें हेल्दी वेट, स्मोकिंग न करना, सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक व्यायाम करना और सब्जियों, फलों, नट्स, साबुत अनाज और मछली खाना आदि शामिल हैं।
बता दें कि साल 2018 में एक रिसर्च में यह सामने आया था कि स्वस्थ बुजुर्ग लोगों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए एस्प्रिन से कोई मदद नहीं मिलती है। 70 साल के अपेक्षाकृत स्वस्थ बुजुर्गों को प्रतिदिन एस्प्रिन की हल्की डोज (100 मिलीग्राम) देने के बावजूद उनमें दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम नहीं हुआ। रिसर्च में यह भी पता चला था कि वृद्धावस्था से जुड़ी अन्य प्रकार की बीमारियों का खतरा भी इससे कम नहीं हुआ।
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