दवा खरीद में होने वाले बड़े खेल को रोकने का दावा

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ विभाग को बड़ी सौगात दी। लोकभवन में स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने आरोग्य केंद्र के साथ एमसीएच विंग, टेली-मेडिसिन व टेली-रेडियोलॉजी सेवा, 102 व 108 एंबुलेंस सेवा व मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की। इन सभी के साथ योगी आदित्यनाथ ने आरोग्य केंद्रों में कार्यरत जीएनएम व एएनएम कार्यकर्ताओं को टैबलेट भी दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 750 रुपए बढ़ाने का ऐलान किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केंद्र के सहयोग से राज्य सरकार ने कार्य किया है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश में दवाओं की खरीद में पहले बड़े-बड़े खेल होते थे लेकिन हमने उस पर भी रोक लगा दी है। पहले जिला अस्पतालों का कैसा हाल था लेकिन अब सुधार किए गए हैं। सूबे में 1947 से 2014 तक केवल 13 राजकीय मेडिकल कालेज थे और हम 15 नए मेडिकल कालेज बना रहे हैं। आने वाले समय मे बेहतर सुविधाएं होने जा रही है। आयुष्मान भारत योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 6 करोड़ लोगों को सीधा लाभ होने जा रहा है। प्रदेश के 21 जनपदों में दस-दस डायलसिस यूनिट देने का काम किया गया है। अब संसाधनों की कमी नही है। आशा व आंगनबाड़ी कर्मियों ने टीकाकरण अभियान को निचले स्तर तक ले जाने का काम किया है।
उन्होंने कहा आज 750 आरोग्य केंद्र के साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र का उद्घाटन किया गया है। इसके साथ प्रदेश में टेलीमेडिसिन व टेलिरेडियोलॉजी सेंटर का लोकार्पण किया। देश की आबादी का पांचवां भाग उत्तर प्रदेश में रहता है। हमारा प्रयास है कि स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर रहें। स्वास्थ्य विभाग की टीम को नीचे के स्तर से ऊपर तक अच्छा काम करना होगा। अब टेलीमेडिसिन के जरिए सुदूर अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सकती हैं। देशभर में 115 एस्पेरेशनल जिले चुने गए थे। इनमें भी उत्तर प्रदेश के आठ पिछड़े जिलों को हम पटरी पर लाए हैं। यहां डॉक्टर्स की कमी थी। टेलीमेडिसिन की मदद से इन जिलों में स्वास्थ्य सुविधा मिलने लगी है। सीएम ने कहा कि अब एम्बुलेंस दिखनी चाहिए। लोगों को पांच से दस मिनट में सुविधा मिलनी चाहिए। हम तो गांव से बस्तियों तक एम्बुलेंस को पहुंचाने में लगे हैं। पहले की तुलना में रिस्पांस टाइम कम हुआ है। मरीज जब हॉस्पिटल में जाता है तो उसको डॉक्टर एयर पैरामेडिकल की सुविधा मिलनी चाहिए न कि दलालों की। हमने देखा कि मरीज को दलाल पास के प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजता है। आयुष्मान भारत योजना से इसमें रोक लगी है। पेशेंट की इलाज के बाद सम्मानजनक विदाई भी होनी चाहिए। इससे छवि बदलेगी।

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