नई दवा का पेटेंट 5 साल के लिए मूल्य नियंत्रण से रहेगा मुक्त 

मुंबई। औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 में संशोधन से प्राधिकारियों को आवश्यक मेडिकल उपकरणों के मूल्य पर नियंत्रण कर पाने को लेकर चिंता बढ़ गई है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब अपने उपकरणों को 5 साल के लिए मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर रखने के मकसद से पेटेंट संरक्षण का इस्तेमाल कर सकती हैं। सरकार की एक अधिसूचना के मुताबिक इंडियन पेटेंट एक्ट के तहत नई दवा का पेटेंट 5 साल के लिए मूल्य नियंत्रण से मुक्त रहेगा। यह छूट उस उत्पाद के देश में वाणिज्यिक विपणन की तिथि से 5 साल के लिए होगी।
 एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीपीसीओ उन दवाओं और मेडिकल उपकरणों के मूल्य पर नियंत्रण लगाता है, जो आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में हैं। इस तरह से आदेश के मुताबिक अगर एक विनिर्माता इंडियन पेटेंट अधिनियम 1970 (1970 का 39) पेटेंट वाली दवा का उत्पादन करता है तो वो उन मेडिकल उपकरणों पर भी लागू होता है जो एनईएलएम में सूचीबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि भारत में मेडिकल उपकरणोंं को दवाओंं के रूप में लिया जाता है और औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के तहत इसका नियमन होता है। एनईएलएम में दवाएं और उपकरण (दवाओं के रूप में अधिसूचित) दोनोंं ही शामिल हैं, जिसमें कार्डियक स्टेंट (ड्रग इलूटिंग स्टेंट सहित), ऑथोपेडिक इंप्लांट (कूल्हा और घुटना) इंट्रायूरीन डिवाइस और कंडोम शामिल हैं। यह अधिसूचना उन उपकरणोंं पर भी लागू होगी, जो पहले ही एनईएलएम में शामिल हैं। 23 मेडिकल उपकरणों को दवाओं के रूप में अधिसूचित किया गया है और ये इस एक्ट के तहत नियमन में आती हैं। इनमें से 4 पहले ही एनईएलएम में शामिल हैं। इस पिछले सप्ताह की शुरुआत में दवा सचिव जयप्रिय प्रकाश ने कहा कि सरकार और उपकरणों को दवा की श्रेणी में डालने पर काम कर रही है।  घरेलू मेडिकल उपकरण उद्योग को डर है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब इस कानून का इस्तेमाल उपकरणों को ‘नवोन्मेष’ के रूप में पंजीकृत कराने में करेंगी और मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने से बच जाएंगी। एक प्रमुख घरेलू उपकरण विनिर्माता कंपनी के प्रमुख ने कहा कि दवाओं की तुलना में, जहां नए मॉलिक्यूल या केमिकल इंटिटी को बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के तहत संरक्षण मिला होता है, आईपीआर के तहत संरक्षित मेडिकल उपकरणों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसके अलावा पेटेंट की आयु करीब 20 साल है, वहीं नई पीढ़ी की तकनीक बहुत जल्द उसकी जगह ले लेती है और विनिर्माता पुरानी पीढ़ी के उत्पाद बंद कर देते हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में पेटेंट की प्रक्रिया बहुत आम है और डिलिवरी के तरीके में मामूली फेरबदल के बाद उपकरकण पेटेंट के तहत पंजीकृत हो जाता है।
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