फार्मा सेक्टर में नौकरियों का ‘बूम’, ऑफर तैयार

नई दिल्ली: देशभर में बेरोजगार युवकों की लंबी फौज है, लेकिन फार्मा  सेक्टर में नौकरियों के खूब ऑफर हैं, इसके बावजूद दवा कंपनियों को पेशेवर कुशल युवा नहीं मिल पा रहे हैं। मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी मायलेन का पीथमपुर प्रोजेक्ट, जो 2014 में शुरू हुआ था, वहां मार्च में उत्पादन शुरू होने जा रहा है। कंपनी ने एसजीएसआईटीएस के पूरे फार्मा बैच को ही अपने यहां नौकरी का ऑफर दिया है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिल पा रहे। पीथमपुर में ही अजंता, एल्केम जैसी बड़ी फार्मा कंपनियों के भी प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं, जिनमें सैकड़ों की संख्या में फार्मा जानकारों की जरूरत होगी। पीथमपुर सेज में स्थापित कंपनियों में एक तिहाई पर फार्मा सेक्टर का ही कब्जा है। सिप्ला, इप्का, सिम्बायोटेक जैसी कई कंपनियां पहले से उत्पादन कर रही हैं। इस नए फार्मा हब में फार्मा सेक्टर के फ्रेशर युवा भविष्य बना सकते हैं। कंपनी अधिकारियों की मानें तो समिट के बाद कई फार्मा कंपनियां इंदौर और आसपास आ रही हैं, जिसमें हजारों की संख्या में रोजगार मिलेंगे। उद्योग की मांग अनुसार युवाओं को तैयार करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को कहा है।
मध्य प्रदेश में बी-फार्मा के 90 कॉलेज हैं, जहां से हर साल 5500 युवा डिग्री लेकर निकलते हैं। यहां फार्मा सेक्टर में शुरुआती पैकेज दो लाख रुपए सालाना है। जो तीन साल अनुभव के बाद योग्यता अनुसार बढक़र 5 से 7 लाख तक पहुंच सकता है। जानकारों की मानें तो शुरुआती पैकेज कम होने की वजह से 50-60 फीसदी युवा पीजी डिग्री लेने या एमबीए सहित अन्य कोर्स  में चले जाते हैं। फार्मा सेक्टर में कुशल पेशेवर की कमी का यह भी एक बड़ा कारण सामने आया है।

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