दवा विक्रेताओं ने मेडिसिन में मॉर्जिन पर उठाए सवाल 

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। दवा विक्रेताओं ने मेडिसिन की ऑनलाइन बिक्री पर सवाल खड़ा किया है। विक्रेताओं का कहना है कि दवा कंपनियां थोक व चिल्हर विक्रय पर अधिकतम 20 फीसदी मॉर्जिन रखती हैं। इसी मॉर्जिन पर थोक से लेकर चिल्हर तक पूरा कारोबार चलता है, लेकिन ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनियां 30 से 60 फीसदी छूट का दावा करती हैं। ऐसे में ये कंपनियां घाटे की भरपाई किस तरह कर रही हैं। दवा विक्रेता संघ के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि मेडिसिन की ऑनलाइन बिक्री से दवा कारोबार ठप होने की स्थिति में पहुंच गया है। दवा विक्रेताओं ने इसके विरोध में 28 सितंबर को बंद का ऐलान किया है। इस दिन जिले की सभी 1200 मेडिकल शॉप बंद रखी जाएंगी। छत्तीसगढ़ प्रदेश दवा विक्रेता संघ के महासचिव अविनाश अग्रवाल, सुधीर अग्रवाल, जिला दवा विक्रेता संघ अध्यक्ष चंचल सेठिया, सचिव वकार हसन ने बताया कि जिले में संघ के साथ 1200 मेडिकल शॉप हैं। ये सभी दुकानें बंद रखी जाएंगी।
ऑल इंडिया दवा विक्रेता संघ ने पूरे भारत में दुकानें बंद रखने का ऐलान किया है। अविनाश अग्रवाल ने बताया कि ऑनलाइन बिक्री से न केवल दवा व्यापार का नुकसान होगा, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। ऑनलाइन पोर्टल बगैर किसी जवाबदारी और डॉक्टर की पर्ची की प्रमाणिकता को परखे दवा उपलब्ध कराते हैं। एमटीपी किट, सिडनेफिल, ताडलाफिल, कोडीन जैसी आदत डालने वाली दवाओं को रजिस्टर्ड मेडीकल प्रेक्टिशनर के पर्चे के बगैर नहीं देता, लेकिन ऑनलाइन में इनकी खुले तौर पर बिक्री होती है। पदाधिकारियों ने बताया कि बंद के दौरान आपातकालीन स्थिति पर संघ खुद मरीजों को दवाइयां उपलब्ध कराएगा। दवा उपलब्ध कराने के एवज में कोई भी अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाएगा।
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