दवा कंपनियों के लिए बढ़ी परेशानी

नई दिल्ली। ई-फार्मा ड्राफ्ट से ओवररेगुलेशन की चिंता बढ़ गई है। ऑनलाइन फार्मेसी इंडस्ट्री के लिए हाल में की गईं ड्राफ्ट गाइडलाइंस ने तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में काम कर रहीं कंपनियों के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसमें इस सेक्टर के रेगुलेशन में राज्यों सरकारों की संभावित भूमिका का भी मामला है। जारी गजट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सभी ई-फार्मेसी को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के साथ रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा, जो देश की सर्वोच्च ड्रग रेगुलेटर और सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी है। हालांकि इसके साथ इस नियम में राज्यों सरकारों को भी रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार दिया गया है। इसने पिछले तीन साल में तेजी से बढ़े इस सेक्टर में दोतरफा रेगुलेशन की आशंका को जन्म दिया है। लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अतुल पांडे ने बताया कि ई-फार्मेसी मार्केटप्लेस की जहां तक बात है, तो ड्राफ्ट नियम में साफ तौर पर सेंट्रल लाइसेंसिग अथॉरिटी का जिक्र है। हालांकि इसके साथ ही नियम 67टी (3) का भी जिक्र किया गया है, जो रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के राज्य सरकारों के अधिकारों के बारे में बात करती है। ऐसे में इस सवाल को लेकर भ्रम कि स्थिति है कि यह अधिकार कहां से आ रहा है। इसके अलावा अभी तक यह भी साफ नहीं है कि अगर कोई ऑफलाइन फार्मेसी रिटेलर दवाओं को ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए बेच रही है तो क्या उसे भी सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही, क्या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को भी राज्य सरकारों के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
पांडे ने कहा कि मौजूदा नियमों के मुताबिक अभी तक रिटेलर्स और होलसेलर्स जितनी भी दवाएं बेचते हैं, उन सभी के लिए उन्हें राज्य सरकारों से लाइसेंस लेना पड़ता है। ऐसे में यह साफ नहीं हो पाया है कि ऑनलाइन रिटेलर्स को भी अपने पोर्टल के जरिए बेची जाने वाली दवाइयों के लिए राज्यों सरकारों के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा या नहीं। सरकार ने इस ड्राफ्ट पर सुझावों और टिप्पणी के लिए 45 दिनों की समयसीमा तय की है, जिसके बाद इस नियम की औपचारिक रूप से अधिसूचना जारी की जाएगी। ई-फार्मा इंडस्ट्री ने अभी तक इस ड्राफ्ट गाइडलाइंस को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। यह इस सेक्टर को रेगुलेशन के अंदर लाने का सरकार का पहला प्रयास है। ऑनलाइन फार्मेसी 1एमजी के चीफ एग्जिक्यूटिव प्रशांत टंडन ने कहा कि यह सेक्टर को आगे बढ़ाने की दिशा में सही कदम है। नोटिफिकेशन में भी साफतौर पर इस सेक्टर को बढ़ावा देने का इरादा दिखता है। हालांकि डेटा प्राइवेसी से जुड़े मामले पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। टंडन ने इसके साथ ही इस सेक्टर में ओवर-रेगुलेशन की चिंता को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में रेगुलेशन को काफी खराब तरीके से लागू किया है। फार्मेसी ऐसा सेक्टर है, जहां नियमों का बेहतर तरीके से पालन करने की जरूरत है। हम अभी भी अनुपालन के उच्च मानकों के साथ काम कर रहे हैं।
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