आधी आबादी पर कैंसर की काली छाया

नई दिल्ली: महिलाओं में स्तन कैंसर से होने वाली मौतों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार वर्ष 2012 में महिलाओं में स्तन कैंसर से मौत के 39,234 मामले सामने आए और 2013 में यह आंकड़ा बढ़कर 40,509 तथा वर्ष 2014 में 41,851 हो गया।
आईसीएमआर ने चेताया है कि अगले कुछ वर्षों में 2020 तक 17 लाख से अधिक कैंसर के नए मामले सामने आएंगे। 2012-2014 तक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्तन कैंसर से महिलाओं की मौतों के पीछे अनियमित जीवन शैली, बढ़ती उम्र, तंबाकू उत्पादों का सेवन मुख्य कारण पाया गया। महिलाओं में स्तन कैंसर के मुकाबले गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर मौत का सबसे बड़ा कारण है और वर्ष 2015 में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से 62 हजार से अधिक महिलाओं की मौत हुई। यह देश में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौत का 24 फीसदी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार महिलाओं में कैंसर के परीक्षण, निदान, उपचार, रोकथाम के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में सहयोग कर रही है।
इन कार्यक्रमों में स्तन गर्भाशय ग्रीवा और मुंह के कैंसर पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में कैंसर का उपचार नि:शुल्क है अथवा नाममात्र का शुल्क लिया जाता है। महिलाओं को कैंसर की पीड़ा से बचाने के लिए देश में कई संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन सरकारी प्रयास अब भी बेमानी हैं, यही वजहें हैं कि कई बार संभव इलाज की स्टेज पर होते हुए भी आर्थिक तंगी से महिलाएं मौत दहलीज के करीब पहुंच जाती है। सरकारी स्तर पर तेजी से सुधार की जरूरत है।
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