भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए खुशखबरी

नई दिल्ली। भारत की फार्मा कंपनियां अब अमेरिकी दवा बाजार में सेक्सवर्धक दवा ‘वायग्रा’ बेच सकेंगी। दरअसल, दुनियाभर में वायग्रा की बिक्री करने वाली इस आइकॉनिक नीली गोली पर फाइजर का पेटेंट खत्म हो गया है। पेटेंट खत्म होने से अमेरिका के बाजार के दरवाजे भारतीय कंपनियों के लिए खुल सकते हैं। दुनियाभर की 15 कंपनियों को अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने वायग्रा के फाम्र्युलेशन सिल्डेनाफिल सिट्रेट का उत्पादन करने की मंजूरी दी है। इन 15 कंपनियों में से 7 फर्म भारत की हैं। इनमें रूबीकॉन रिसर्च, हेटेरो ड्रग्स, मैक्लियॉड्स फार्मा, डॉ. रेड्डी, ऑरबिंदो फार्मा, टॉरंट फार्मास्युटिकल्स और अजंता फार्मा के नाम शामिल हैं। दवाओं की कीमत के चलते अमेरिका बाजार में भारतीय कंपनियां बढ़त हासिल कर सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस दवा की कीमत 65 डॉलर यानी करीब 4,400 रुपये है। फाइजर ने खुद इस दवा के जेनेरिक वर्जन को 2017 में लगभग आधी कीमत में लॉन्च किया था। इसके बाद भी भारतीय कंपनियों की ओर से दी जा रही दवा इससे काफी सस्ती है। भारतीय कंपनियां वायग्रा के देसी वर्जन को 32 रुपये तक की कीमत में बेच रही हैं। ऐसे में भारतीय कंपनियों को पूरी उम्मीद है कि वायग्रा का उनका देसी वर्जन अमेरिका में खासा बिकेगा।

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